
CARS24 और ORBIT की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगी-महंगी कार खरीदने वाले लोग किस कदर अपनी लाखों की गाड़ी के प्रति बेरुखा रवैया अपनाते हैं. सरकार की ओर से सख्त कानून बनाने और लगातार जागरुकता फैलाने के बावजूद लोग न तो इंश्योरेंस खरीद रहे हैं और न ही पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUCC) बनवाते हैं. इस रिपोर्ट में जो दावे किए जा रहे हैं, वह काफी चौंकाने वाले हैं और इससे लोगों की लापरवाही भी खुलकर सामने आती है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 50 फीसदी वाहनों के पास वैलिड इंश्योरेंस तक नहीं है. इसमें सबसे ज्यादा संख्या तो दोपहिया वाहनों की है. हालत ये है कि दिल्ली, यूपी, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में तो 30 फीसदी से भी कम लोगों के पास पॉल्यूशन सर्टिफिकेट हैं. एक तरफ जहां साल दर साल वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो वहीं इन मानकों के पालन में लगातार गिरावट आती जा रही है.
मानकों के पालन में कितनी लापरवाही
आंकड़े बताते हैं कि इन मानकों पालन में घोर लापरवाही बरती जा रही है. आंध्र प्रदेश और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में अनुपालन दर 9.6 फीसदी है, जबकि उत्तरी राज्या में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी है. उत्तरी राज्यों की सबसे बड़ी समस्या लैप्स इंश्योरेंस हैं, जबकि दक्षिणी राज्यों में सबसे बड़ी समस्या पॉल्यूशन सर्टिफिकेट का उल्लंघन है. महाराष्ट्र में मानकों के पालन की दर सिर्फ 1.9 फीसदी है, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 6.74 फीसदी के साथ कुछ बेहतर है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि जून, 2024 से 2025 के बीच फास्टैग से भुगतान में 17 फीसदी से भी ज्यादा का उछाल आया है, जबकि इसमें औसत बैलेंस भी 400 रुपये से ज्यादा का रहने लगा है. इससे पता चलता है कि डिजिटल और कानूनी अनुपालन के बीच किस कदर अंतर हो गया है. इतना ही नहीं, लोग चालान का पैसा भी नहीं भर रहे हैं. साल 2015 से अब तक 5.11 लाख करोड़ रुपये का चालान काटा गया है, जिसमें से महज 1.92 लाख करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया. अभी तक 3.18 लाख करोड़ रुपये का चालान नहीं भरा गया है और 7.69 करोड़ चालान कोर्ट में पेंडिंग हैं.
नहीं है इंश्योरेंस और पीयूएस तो क्या होगा
ऐसे वाहन चालक जिनके पास कार इंश्योरेंस या पीयूसीसी नहीं है, उनका चालान काटे जाने पर वाहन जब्त भी किए जा सकते हैं. दिल्ली जैसे शहर में जहां पीयूसीसी की दर सबसे कम है, वाहनों का 10 हजार रुपये का चालान काटा जाता है. बावजूद इसके लोग सजग नहीं हो रहे हैं. इंश्योरेंस नहीं होने पर, किसी हादसे के समय वाहन मालिक को खुद की जेब से थर्ड पार्टी को पैसे देने पड़ेंगे. इतना ही नहीं, कार में कोई डैमेज होने पर उसे बनवाने का पैसा भी खुद ही खर्च करना पड़ेगा. बावजूद इसके आधे से ज्यादा लोग अपने वाहनों का इंश्योरेंस नहीं कराते हैं.