नई दिल्ली56 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
फोर्ड के दो प्लांट में व्हीकल्स बनते थे। एक चेन्नई में और एक गुजरात में।
फोर्ड मोटर इंडिया ने भारत में फिर से मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने का ऐलान किया है। कार बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ने तमिलनाडु सरकार के साथ MOU साइन किया है। फोर्ड ने यह फैसला ट्रंप की US में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली पॉलिसी के खिलाफ लिया है।
कंपनी ने चेन्नई के अपने मराईमलाई नगर प्लांट में 3250 करोड़ रुपए का निवेश करने का ऐलान किया है। इससे कंपनी नेक्स्ट जनरेशन इंजन बनाकर एक्सपोर्ट करेगी। प्रोडक्शन 2029 में शुरू होगा और इस साल के आखिर से साइट प्रिपरेशन शुरू हो जाएगी। इससे 600 से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे और भारत की स्किल्ड वर्कफोर्स फायदा मिलेगा।

MOU साइन के दौरान मुख्यमत्री एमके स्टालिन और उद्योग, निवेश प्रोत्साहन और वाणिज्य मंत्री टीआरबी राजा मौजूद थे। राजा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट कर MOU साइन करने की जानकारी दी। 2024 में फोर्ड ने तमिलनाडु सरकार को एक लेटर ऑफ इंटेंट (LOI) सौंपा था, जिसमें मराईमलाई नगर प्लांट को फिर से शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई थी।
भारत में कोई नई फोर्ड कार आएगी?
- 2021 में फोर्ड ने कम बिक्री और बढ़ते घाटे की वजह से भारत में अपना कारोबार बंद कर दिया था। फिर कंपनी ने कहा था कि वो यहां अपनी महंगी कारों की रेंज लाएगी। लेकिन ये प्लान कभी हकीकत नहीं बना।
- 2024 में फोर्ड एवरेस्ट को दोबारा लाने की खबरें चर्चा में थीं। जब इसे भारत की सड़कों पर टेस्टिंग करते हुए देखा गया, तो सबको लगा कि जल्द ही लॉन्च हो जाएगा, लेकिन ये भी बस बातों तक ही रह गया।

प्लांट में हर साल 2.35 लाख इंजन बनाएगी कंपनी
₹3,250 करोड़ का यह निवेश फोर्ड+ प्लान का हिस्सा है। चेन्नई प्लांट में सालाना 2.35 लाख इंजन प्रोड्यूस होंगे, जो नई टेक्नोलॉजी वाले होंगे। इंजन टाइप और एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बाद में बताए जाएंगे। यह सिर्फ एक्सपोर्ट के लिए होगा, लोकल मार्केट के लिए नहीं। निवेश से 600 डायरेक्ट जॉब्स क्रिएट होंगी, साथ ही इंडस्ट्री में अप्रत्यक्ष नौकरियां भी बढ़ेंगी। तमिलनाडु पहले से ही ह्यूंडई, रेनॉल्ट और BMW जैसे मैन्युफैक्चरर्स का हब है।
आगे का प्लान, ट्रंप पॉलिसी पर क्या असर
2029 तक प्रोडक्शन शुरू होने के बाद फोर्ड ग्लोबल नेटवर्क को स्ट्रेंथ मिलेगी। तमिलनाडु में कंपनी के ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशंस से पहले से 12,000 लोग काम कर रहे हैं। यह निवेश ट्रेड टेंशंस के बीच भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएगा। फोर्ड का फोकस एक्सपोर्ट पर रहेगा, जिससे लोकल जॉब्स बढ़ेंगी लेकिन कार सेल्स पर असर कम। कुल मिलाकर, यह कदम इंडियन ऑटो सेक्टर को बूस्ट देगा।
2018 में 10 लाख ग्राहकों का आंकड़ा छुआ था
फोर्ड ने भारत में 1995 में महिंद्रा से पार्टनरशिप करके एंट्री की थी। उस वक्त कंपनी का नाम महिंद्रा फोर्ड इंडिया लिमिटेड (MFIL) था।
फोर्ड इंडिया ने जुलाई 2018 में 1 मिलियन (10 लाख) ग्राहकों के आंकड़ा छुआ था। तब कंपनी के प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर अनुराग मेहरोत्रा ने कहा था कि भारत में 10 लाख ग्राहकों तक पहुंचने पर हमें गर्व हो रहा है। अपने ग्राहकों के विश्वास के लिए हम ऋणी हैं।
फिगो, एस्पायर, इकोस्पोर्ट जैसी कारें बेचती थी फोर्ड
फोर्ड भारत में फिगो, एस्पायर, इकोस्पोर्ट और एंडेवर जैसी कारें बेचती थी। फोर्ड साणंद (गुजरात) और मराईमलाई (चेन्नई) प्लांट में अपने व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग करती थी। इसमें करीब 4000 कर्मचारी काम करते थे। देशभर में कंपनी के 11,000 से अधिक कर्मचारी थे।