नई दिल्ली8 मिनट पहले
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भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट 2023 अब नियमों के साथ पूरी तरह लागू हो चुका है। सरकार ने 14 नवंबर को इसके नियमों को नोटिफाई कर दिया है। ये नियम आम लोगों की प्राइवेसी को मजबूत करने के साथ-साथ इनोवेशन और डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा।
DPDP एक्ट को संसद ने 11 अगस्त 2023 को पास किया था। यह डिजिटल पर्सनल डेटा को हैंडल करने वाली कंपनियों (डेटा फिड्यूशरी) की जिम्मेदारियां तय करता है, जबकि लोगों को उनके अधिकार देता है।
बच्चों और दिव्यांगों के डेटा के लिए पेरेंट्स की सहमति जरूरी
बच्चों के लिए किसी भी रूप में उनके डेटा का उपयोग करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य है। हेल्थकेयर, एजुकेशन या रीयल-टाइम सेफ्टी जैसे जरूरी मामलों में ही छूट मिलेगी।
दिव्यांगों के लिए, जो लीगल डिसीजन नहीं ले पाते, उनके कानूनी गार्जियन से कंसेंट लेना पड़ेगा, जो कानून के तहत वेरिफाइड हो। एक्ट में पर्सनल डेटा इकट्ठा करने और उसका उपयोग करने वाली कंपनियों को ‘डेटा फिड्युशरी’ कहा है।

DPDP एक्ट की 5 सबसे जरूरी बातें…
- कंसेंट बिना डेटा नहीं ले सकते: कोई कंपनी या ऐप आपका पर्सनल डेटा कलेक्ट करने से पहले साफ-साफ बताएगी कि इसका क्या यूज होगा। बिना आपकी इजाजत के ये नहीं कर सकतीं। अगर आप नहीं चाहते, तो डेटा शेयर न करें- ये आपका हक है।
- डेटा सिर्फ जरूरी काम के लिए: कंपनियां आपका डेटा सिर्फ वही काम कर सकती हैं जो उन्होंने बताया। मिसाल के तौर पर, शॉपिंग ऐप सिर्फ ऑर्डर के लिए यूज करेगी, मार्केटिंग के लिए नहीं। अगर गलत यूज हो, तो आप शिकायत कर सकते हैं।
- अपना डेटा कंट्रोल में रखें: आप कभी भी अपनी जानकारी देख सकते हैं, गलतियां सुधार सकते हैं, अपडेट कर सकते हैं या पूरा डेटा डिलीट करवा सकते हैं। कंपनियों को 90 दिनों के अंदर जवाब देना पड़ेगा।
- डेटा लीक होने पर तुरंत खबर: अगर आपका डेटा चोरी या ब्रेक होता है, तो कंपनी को तुरंत घंटों में आपको आसान भाषा यानी आपके समझने लायक भाषा में बताना पड़ेगा- क्या हुआ, असर क्या हो सकता है और क्या कदम उठाए। इससे आप सतर्क रह सकेंगे।
- शिकायत आसान, बोर्ड डिजिटल: कोई प्रॉब्लम हो तो डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड पर ऑनलाइन या ऐप से शिकायत करें। ये फ्री है और ट्रैकिंग आसान। अगर संतुष्ट न हों, तो TDSAT कोर्ट में अपील कर सकते हैं। छोटे बिजनेस के लिए भी कंप्लायंस आसान रखा गया है, ताकि सर्विसेज महंगी न हों।
डेटा ब्रेक और शिकायतों का क्या होगा?
अगर पर्सनल डेटा ब्रेक होता है, तो डेटा फिड्यूशरी को तुरंत अफेक्टेड लोगों को प्लेन लैंग्वेज में बताना पड़ेगा। जैसे- ब्रेक की नेचर, इसका क्या प्रभाव हो सकता है, क्या कदम उठाने चाहिए और किससे मदद लेनी चाहिए।
लोगों को राइट्स मिले हैं- अपना डेटा एक्सेस, करेक्ट, अपडेट या इरेज करने के। नॉमिनी भी ये अधिकार मिलेंगे। सभी रिक्वेस्ट्स पर मैक्सिमम 90 दिनों में रिस्पॉन्स देना पड़ेगा। शिकायतों के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड डिजिटल होगा जिसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप से फाइल और ट्रैक कर सकेंगे।

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आज डिजिटल टेक्नोलॉजी के दौर में हर इंसान की गतिविधियां कहीं-न-कहीं डेटा में बदल रही हैं। कौन कहां गया, क्या सर्च किया, किससे बात की, क्या खरीदा ये सारी जानकारियां स्मार्टफोन, एप्स और इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स के जरिए रिकॉर्ड हो रही हैं। लोकेशन, बैंकिंग ट्रांजैक्शन, कॉल डिटेल्स से लेकर बायोमेट्रिक डेटा तक ट्रैक होता है। अक्सर व्यक्ति को इसकी भनक तक नहीं लगती है।
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