
मुंबई4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
टेस्ला की ऑटो ड्राइव कार के एक्सीडेंट के एक मामले में इलॉन मस्क की कंपनी को 243 मिलियन डॉलर करीब 2,100 करोड़ रुपए का मुआवजा देना होगा। फ्लोरिडा के मियामी कोर्ट ने 4 साल पुराने घटना में कंपनी को भी जिम्मेदार मानते हुए यह आदेश दिया है।
मामला 2021 का है, जब फ्लोरिडा में टेस्ला की ऑटोपायलट सिस्टम वाली गाड़ी से हादसा हुआ। ड्राइवर कार को ऑटोपायलट मोड में डालकर फोन पर व्यस्त था। सिस्टम में खराबी के चलते कार एक कपल को टक्कर मार देती है।
इस एक्सीडेंट में लड़की की मौत हो जाती है और उसका बॉयफ्रेंड घायल होता है। मामले में कंपनी ने कहा था कि ड्रायवर फोन चलाने में व्यस्त था। हालांकि कोर्ट ने माना कि टेस्ला का सिस्टम खराब था और हादसे की जिम्मेदारी सिर्फ ड्राइवर की नहीं थी।
टेस्ला ऑटोपायलट क्रैश केस में क्या-क्या हुआ
- 2021 में ही पीड़ितों के परिवार ने टेस्ला के खिलाफ केस फाइल किया। परिवार ने आरोप लगाया कि कंपनी ने ऑटोपायलट सिस्टम में खराबी की बात छुपाई और इस हादसे से पहले और बाद के डेटा और वीडियो फुटेज को भी खत्म कर दिया।
- केस 2021 से 2025, चार साल तक चला। इस दौरान टेस्ला इस तरह के एक्सीडेंट के ज्यादातर मामलों को सेटल करती रही या कोर्ट में खारिज करवाती रही, लेकिन ये मामला ट्रायल तक पहुंच गया।
- टेस्ला ने मियामी की फेडरल कोर्ट में जूरी के सामने ड्राइवर को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की। लेकिन, पीड़ितों के वकील ऑटोपायलट सिस्टम की खराबी पर अड़े रहे। आखिर में टेस्ला गाड़ी में खराबी मानती है, लेकिन सबूत छुपाने के आरोप खारिज करती है।
कोर्ट के फैसले को टेस्ला ने गलत माना
हालांकि कोर्ट के फैसले को कंपनी ने गलत माना और कहा कि ऑटोमोटिव सेफ्टी और टेक्नोलॉजी के लिए नुकसानदायक है।
टेस्ला की ऑटोपायलट फीचर कैसे काम करती है?
- ऑटोपायलट का मतलब है कि बिना ड्राइवर की मदद के कार का चलना। ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी कई अलग-अलग इनपुट के आधार पर काम करती है। जैसे लोकेशन और मैप के लिए ये डायरेक्ट सैटेलाइट से कनेक्ट होती है। पैसेंजर को कहां जाना है, इसको मैप में सिलेक्ट किया जाता है। इसके बाद रूट का सिलेक्शन होता है।
- जब कार ऑटोपायलट मोड पर चलती है तब सैटेलाइट के साथ उसे कार के चारों तरफ दिए गए कैमरा से भी इनपुट मिलता है। यानी कार के सामने या पीछे, दाएं या बाएं कोई ऑब्जेक्ट तो नहीं है। किसी ऑब्जेक्ट के होने पर कार लेफ्ट-राइट मूव होती है या फिर रुक जाती है।
- कार में कई सेंसर भी होते हैं, जो कार को रोड-लेन में रखने में मदद करते हैं और सिग्नल को रीड करते हैं। ऑटोपायलट मोड में कार की स्पीड 100 किमी प्रति घंटा से ऊपर तक हो जाती है। हालांकि, इस तकनीक में कई बार सेंसर काम करना बंद कर देते हैं जिसके चलते हादसा हो जाता है।