नई दिल्ली33 मिनट पहले
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कल शाम की बात है। राहुल का फोन अजीब व्यवहार करने लगा। X पर स्क्रॉल करता तो बस खाली स्क्रीन। चैट जीपीटी से डिनर में बनाने के लिए रेसिपी पूछना था, वो भी “समथिंग वेंट रॉन्ग” दिखाने लगा। राहुल ने सोचा शायद उसके फोन में ही प्रॉब्लम हो गई है।
उधर मुंबई में कॉलेज स्टूडेंट प्रिया कैन्वा पर अपना प्रोजेक्ट पूरा करने बैठी थी। अचानक ये चलना बंद हो गया। Wi-Fi ऑफ-ऑन किया, फोन रीस्टार्ट किया, कुछ नहीं हुआ। प्रिया ने दोस्त को फोन किया उसके साथ भी ऐसी ही समस्या हो रही थी।
धीरे-धीरे खबरें आने लगी कि पूरी दुनिया में ही इस तरह की समस्या आ रही है। पता चला कि क्लाउडफ्लेयर के सर्वर से जुड़ी कोई समस्या है। क्लाउडफ्लेयर को आप इंटरनेट का चौकीदार कह सकते है। वेबसाइट्स डेटा क्लाउडफ्लेयर से होकर गुजरता है।

छोटी सी परमिशन बदलने से लेटेंट बग एक्टिवेट हो गया था
पर ये सब हुआ कैसे। क्लाउडफ्लेयर ने अपनी ऑफिशियल ब्लॉग पोस्ट में पूरी घटना की डिटेल्ड रिपोर्ट जारी कर दी है। कंपनी ने माना कि यह कोई साइबर अटैक नहीं था, बल्कि उनके सिस्टम में सालों पुराना एक लेटेंट बग था जो रूटीन चेंज से एक्टिवेट हो गया।
- क्लाउडफ्लेयर के CTO डेन नीक्ट ने बताया कि कंपनी ने डेटाबेस में रूटीन परमिशन चेंज करने से बॉट प्रोटेक्शन सिस्टम की कॉन्फिगरेशन फाइल में गलत एंट्रीज आने लगीं।
- फाइल का साइज दोगुना हो गया। यह फाइल ग्लोबल नेटवर्क पर डिस्ट्रीब्यूट हुई तो हजारों सर्वर्स क्रैश हो गए क्योंकि सॉफ्टवेयर इतनी बड़ी फाइल हैंडल नहीं कर पाया।
- फाइल हर कुछ मिनट में रीजनरेट हो रही थी, इसलिए समस्या बार-बार आती-जाती रही। यूजर्स को 500 एरर मैसेज दिख रहे थे। शाम 5-9 बजे तक ये समस्या रही।
कौन सी सर्विसेज सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं
क्लाउडफ्लेयर दुनिया की 20% से ज्यादा वेबसाइट्स को कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क, सिक्योरिटी और रूटिंग सर्विस देता है। आउटेज से 1.4 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स प्रभावित हुई। इनमें X, चैटजीपीटी, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, स्पॉटिफाई, कैनवा, क्लॉड AI, उबर, जूम शामिल थीं। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया की हर पांचवीं वेबसाइट को क्लाउडफ्लेयर सर्विस देता है।

आउटेज के बाद क्लाउडफ्लेयर 3 बड़े बदलाव करेगी…
- कॉन्फिग फाइल के साइज पर ऑटो लिमिट लगाएंगे।
- ऐसे लेटेंट बग्स ढूंढने के लिए नया टेस्टिंग सिस्टम बनाएंगे।
- प्रॉक्सी सर्विस का नया वर्जन पहले से टेस्ट करके रोलआउट करेंगे।
क्लाउड सर्विसेज और साइबर सिक्योरिटी कंपनी है क्लाउडफ्लेयर
क्लाउडफ्लेयर एक ग्लोबल क्लाउड सर्विसेज और साइबर सिक्योरिटी कंपनी है। यह डेटासेंटर्स, वेबसाइट और ईमेल सिक्योरिटी, डेटा लॉस से बचाव और साइबर खतरों से सुरक्षा देती है।
कंपनी खुद को “इंटरनेट का इम्यून सिस्टम” बताती है। मतलब उसकी टेक्नोलॉजी अपने क्लाइंट्स और बाकी दुनिया के बीच में बैठकर रोजाना अरबों साइबर अटैक ब्लॉक करती है। साथ ही, अपनी ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से यह इंटरनेट ट्रैफिक को तेज भी बनाती है।
कंपनी हर तिमाही में 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4.42 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा की कमाई करती है। इसके करीब 3 लाख ग्राहक हैं। कंपनी चीन समेत 125 देशों में काम करती है।