नई दिल्ली3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
दुनिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन इलॉन मस्क की सेटेलाइट इंटरनेट देने वाली कंपनी स्टारलिंक की सर्विस आज (15 सितंबर) दुनियाभर में डाउन हो गई है। इससे यूजर्स सेटेलाइट से इंटरनेट इस्तेमाल करने में परेशानी हो रही है।
डाउनडिटेक्टर के मुताबिक, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस में 14 सितंबर सुबह 10:47 बजे से खराबी शुरू हुई। इस आउटेज ट्रैकिंग वेबसाइट के अनुसार, करीब 45,000 यूजर्स ने प्लेटफॉर्म पर इस समस्या की शिकायत की हैं।
अमेरिका में आउटेज का सबसे ज्यादा असर
डाउनडिटेक्टर.इन, वेबसाइटों और ऑनलाइन सर्विसेज के रियल टाइम में आउटेज यानी समस्याओं को ट्रैक करने वाला एक प्लेटफॉर्म है। इसने बताया कि, इस आउटेज का असर सबसे ज्यादा अमेरिका में हुआ है।
अमेरिका में एरिजोना, नेवादा और यूटा जैसे कई दूसरे राज्यों में यूजर्स को कनेक्टिविटी की दिक्कत हो रही है। इसके अलावा वर्जीनिया, लुइसियाना, इंडियाना के साथ-साथ कोलंबिया जैसे अंतरराष्ट्रीय स्थानों से भी ऐसी रिपोर्टें आई हैं।

40% लोगों ने टोटल ब्लैकआउट की शिकायत की
डाउनडिटेक्टर के मुताबिक, लगभग 59% लोगों को इंटरनेट कनेक्शन में दिक्कत हो रही है। वहीं 40% लोगों ने तो टोटल ब्लैकआउट की शिकायत की है और लगभग 1% ने बताया है कि उन्हें कनेक्शन में दिक्कत हो रही है।

हमारी टीम जांच कर रही
इंटरनेट कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘स्टारलिंक इस समय सेवा में रुकावट का सामना कर रही है। हमारी टीम इसकी जांच कर रही है।’ स्पेसएक्स ने अभी तक इस रुकावट का सही कारण नहीं बताया है और न ही इसे ठीक करने का कोई टाइमलाइन दिया है। यूजर्स को सलाह दी गई है कि वे लाइव आउटेज मैप चेक करते रहें ताकि सर्विस के ठीक होने की अपडेट मिल सके।
यूजर्स को कंपनी की सलाह
- यूजर्स अपने राउटर को रिस्टार्ट करें और फर्मवेयर अपडेट्स चेक करें।
- DNS सेटिंग्स यूज करें, जैसे (8.8.8.8 या 1.1.1.1)।
- रियल-टाइम अपडेट्स के लिए स्टारलिंक के ऑफिशियल सपोर्ट चैनल्स को फॉलो करें।
भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट ट्रायल शुरू करेगी स्टारलिंक
इलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में हाई स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट का ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने सैटेलाइट को ट्रायल के लिए प्रोविजनल स्पेक्ट्रम दिया है। ये स्पेक्ट्रम कंपनी को 6 महीने के लिए ट्रायल चलाने की इजाजत देता है।
कंपनी अब भारत में 10 जगहों पर बेस स्टेशन बनाएगी, जिसमें मुंबई मुख्य केंद्र होगा। इसके अलावा स्टारलिंक ने इक्विपमेंट इंपोर्ट करने के लिए लाइसेंस भी मांगा है, जिसमें लैंडिंग स्टेशन हार्डवेयर भी शामिल है।
यह हार्डवेयर सैटेलाइट सिग्नल को जमीन के नेटवर्क से जोड़ेगा। ट्रायल के दौरान सिक्योरिटी और टेक्निकल स्टैंडर्ड्स की जांच होगी, इसके बाद स्टारलिंक हाई स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट ऑफिशियली लॉन्च कर सकती है।
सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचता है इंटरनेट?
- सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
- स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।
