- Hindi News
- Business
- TRAI Mandates Pre tagging Of Links, Other Variables In Content Templates Of Commercial SMS
नई दिल्ली17 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने अब फर्जी SMS और फिशिंग एक्टिविटीज पर रोक लगाने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है। TRAI ने देश की सभी टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया है कि कॉमर्शियल कम्युनिकेशन के लिए भेजे जाने वाले सभी SMS टेम्प्लेट्स में मौजूद ‘वेरिएबल कंपोनेंट्स’ को अब पहले से ही टैग (Pre-Tag) करना होगा।
यह नियम खासकर उन अनरजिस्टर्ड लिंक्स और फ्रॉड कॉल बैक नंबरों को टारगेट करेगा, जिनका इस्तेमाल धोखेबाज आम लोगों को फंसाने के लिए करते हैं। कंपनियों को यह नियम लागू करने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है।
अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें दिनभर किसी न किसी बैंक, फाइनेंशियल सर्विस या ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के नाम से फर्जी SMS आते रहते हैं और आप फ्रॉड के डर से इन्हें इग्नोर कर देते हैं। तो आपके लिए यह एक राहत की खबर है।
क्या है TRAI का नया ‘प्री-टैगिंग’ नियम?
TRAI का यह नया नियम मुख्य रूप से SMS टेम्प्लेट में इस्तेमाल होने वाले डायनामिक कंटेंट से जुड़ा है। वेरिएबल कंपोनेंट्स का मतलब मैसेज के उन हिस्सों से है, जो हर रिसीवर के लिए बदल सकते हैं। जैसे…
- किसी वेबसाइट या ऐप का URL (लिंक)
- एप्लीकेशन डाउनलोड करने का लिंक
- कॉल बैक करने के लिए दिया गया फोन नंबर
- ऑफर की रकम, आदि
नए नियम के तहत, मैसेज भेजने वाली प्रिंसिपल एंटिटी (PE) यानी वह कंपनी जो मैसेज भेज रही है, उसे टेम्प्लेट रजिस्टर करते समय यह बताना होगा कि वेरिएबल फील्ड में क्या आने वाला है।
उदाहरण के लिए अगर वहां कोई URL आना है, तो उसे स्पष्ट रूप से #url# के रूप में टैग करना होगा। अगर कोई नंबर आना है, तो #number# के रूप में टैग करना अनिवार्य होगा।
फ्रॉड पर कैसे लगेगी लगाम?
पहले इन वेरिएबल फील्ड्स को टैग नहीं किया जाता था, जिसका सीधा फायदा फ्रॉडस्टर्स उठाते थे। वे अप्रूव्ड मैसेज टेम्प्लेट में ही चुपके से किसी बैंक या सरकारी योजना के नाम पर मैलीशियस लिंक्स या ऐसे नंबर डाल देते थे, जो उन्हें फाइनेंशियल फ्रॉड करने में मदद करते थे। चूंकि इन फील्ड्स की कोई पहचान यानी टैगिंग नहीं थी, इसलिए टेलीकॉम प्रोवाइडर्स उन्हें पहचान नहीं पाते थे।
अब प्री-टैगिंग के बाद एक्सेस प्रोवाइडर्स यानी टेलीकॉम कंपनियां इन फील्ड्स को ऑटोमैटिकली पहचान पाएंगे और उनकी जांच कर पाएंगे। इससे वे यह पता लगा सकेंगे कि डाला गया लिंक या नंबर व्हाइटलिस्टेड डोमेन या नंबरों से है या नहीं। अगर वह टैग के विपरीत होगा या फ्रॉड लिंक होगा, तो मैसेज वहीं ब्लॉक हो जाएगा। TRAI ने साफ किया है कि यह कदम एंटी-स्पैम और एंटी-फ्रॉड फ्रेमवर्क को और मजबूत करेगा।
कंपनियों को 60 दिन में करना होगा बदलाव
TRAI ने एक्सेस प्रोवाइडर्स और प्रिंसिपल एंटिटीज को अपने मौजूदा SMS टेम्प्लेट्स में जरूरी बदलाव करने के लिए 60 दिनों की मोहलत दी है। यानी अगर किसी कंपनी के लाखों पुराने टेम्प्लेट्स अप्रूव्ड हैं, तो उन्हें 60 दिन के अंदर इस नए प्री-टैगिंग नियम के हिसाब से अपडेट करना होगा।
इस कॉम्प्लायंस विंडो के खत्म होने के बाद अगर कोई भी मैसेज नॉन-कॉम्प्लायंट टेम्प्लेट का इस्तेमाल करके भेजा जाता है, तो टेलीकॉम कंपनी उसे रिजेक्ट कर देगी और वह मैसेज ग्राहक तक नहीं पहुंचेगा। यह एक तरह से फ्रॉड मैसेज भेजने वालों के लिए सीधी चुनौती है।
डिजिटल कम्युनिकेशन पर फिर बढ़ेगा भरोसा
यह नया नियम TRAI के टेलीकॉम कॉमर्शियल कम्यूनिकेशन कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशंस (TCCCPR) 2018 को और बल देता है। जिसका उद्देश्य अनऑथोराइज्ड कॉमर्शियल कम्युनिकेशन पर पूरी तरह रोक लगाना है। TRAI का मानना है कि इस पहल से पब्लिक सेफ्टी बढ़ेगी और डिजिटल मैसेजिंग चैनल्स पर लोगों का भरोसा फिर से बहाल होगा।
ये चैनल्स बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, सरकारी और दूसरी जरूरी सेवाओं के कम्युनिकेशन के लिए बहुत जरूरी होते हैं। अब हर वेरिएबल फील्ड का ट्रांसमिशन से पहले वैलिडेशन होगा, जिससे फ्रॉड की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी।
ये खबर भी पढ़ें…
दुनियाभर में X और चैटजीपीटी 4 घंटे डाउन रहे: क्लाउडफ्लेयर में दिक्कत होने से सर्विस गड़बड़ाई, 75 लाख वेबसाइट्स पर असर

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X, AI चैटबॉट चैटजीपीटी और कैनवा की सर्विसेज देशभर में डाउन हो गईं। ये सर्विसेज मंगलवार शाम करीब 5 बजे से रात 9 बजे तक डाउन रहीं। पूरी खबर पढ़ें…